सोमवार, 13 दिसंबर 2010

. म्हारा भगवान

.    म्हारा भगवान
.    हर छिण इ
.    छू अर नीसरे
.    वै!
.    मनै
.    म्हारे सपनां नै
.    इच्छावां नै
.    म्हारी कामनावां नै
.    अर हवळेस
.    बुचकार र
.    केई पांवडा
.    धकै लेय जावै ,
.    म्हारी तकदीर नै
.    म्हारी कामनावां नै
.    मंजळ कानी
.    आंगळी पकड़ र ,
.    ज्याणे भगवान व्है
.    म्है आकासै जोउं
.    निहाल निजरां सूं
.    पण....
.    छियां निजर आवै
.    म्हारे मातासा री
.    म्हारै  पापासा  री
.    ओह!!!
.    वै तो उणारी आसीसां है!!
.    ......किरण राजपुरोहित नितिला

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

पीठी रा गीत

पीठी के गीत बन्ना या बन्नी को पीठी चढाते समय गाये जाते है।  इस गीत में पति अपनी पत्नि से पूछते है कि
आपकी चूनड़ी तेल से कहां भरी ?
आपके हाथ पीले कैसे हुये? तब पत्नि कहती है कि सुंदर से  बन्ना के पीठी उतारते समय हाथ पीले और चूनड़ी तेल से चीगटी हुई है।
पीठी में हल्दी बेसन और जौ के आटे के साथ तेल मिला उबटन होता है।


पीठी  रा   गीत
नरेन्दरसिंघसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !

अरविंद सिंहसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !

बुधवार, 3 नवंबर 2010

हिवड़े रा भाव




हिवड़े रा भाव
सब्दां रै ढीले बंध में
कियां बाधूं  !
हिवड़े रा भाव मरम ढाळूं तो
 लिपि विखरे
मातरावां सूं नी ताबै
आखरां सूं आपळता
स्वरां नै नीं सांबळै
इण हिये रा भाव !
सूत्र बणा र सांवट ल्यूं
फर्मा में ही टीप द्यूं
रीत रिवाज सूं अळगा
गणित विज्ञान नी है
हिवड़े रा भाव
जो सोचूं
 वै कियां लिखूं
सोचां नै समझ समझावै
 थाम थाम र राखूं पण
म्हासूं धके भाज जावै
गोखां सूं झांक इ ल्यै
हिवड़े रा भाव
..किरण राजपुरोहित नितिला

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

बनो गीत

बनो गीत
लंबा तो केस बनी नै रखड़ी जी सोवे
रखड़ी रा निरखण घर कद आवो ,
ओ केसरिया थांरी मनै ओळूं जी आवै
ओळूं जी आवै बनी नै धान नई भावै,
मैला चढती नै हिचकी जी आवै
ओ केसरिया थांरी  मनै ओळूं जी आवै ।।
   
गोरो सो हिवड़ो बनी नै हार जी सोवे
नेकलेस रा निरखण घर कद आवो
  ओ केसरिया थांरी मनै आंळूं जी आवै
ओळूं जी आवै बनी नै धान नई भावै,
मैला चढती नै हिचकी जी आवै ।।

 लंबा तो हाथ बनी ने बाजूबंद जी सोवे
गजरां  रा निरखण घर कद आवो
 ओ केसरिया थांरी मनै ओळूं जी आवै
ओळूं जी आवै बनी नै धान नई भावै,
मैला चढती नै हिचकी जी आवै ।।

गोरा सा पगल्या बनी नै  पायल जी सोवे
बिछिया रा निरखण घर कद आवे
ओ केसरिया  थांरी मनै ओळूंजी आवै
 ओळूं जी आवै बनी नै धान नई भावै,
मैला चढती नै हिचकी जी आवै ।।

रविवार, 26 सितंबर 2010

वीरो गीत

वीरो गीत
 बजारों में बाजै जंगी ढोल
दरवाजे नौपत घुर रया जी
आया म्हारा जामण जाया वीर!
चुनड़ लाया रेशम जी
आया म्हारा माता जाया वीर
चूनड़ लाया पचरंगी जी !

पल्लां उपर हीरां रो जड़ाव
घूंघटा पर घूघरा जी
नापूं तो हाथ पांच!
तोलूं तो पूरा तोळा तीसरी
मेलूं तो तरसे म्हारो जीव
ओढूं  तो हीरा झड़ पड़े जी !

ओढूं म्हारा लाडलड़ा रै ब्याव
च्यारुं पल्ला रळकंता जी
देखे म्हारा देवर जेठ!
सायब आवे मुळकंता जी
देखे म्हारा सोई परवार
सायब देखे मुळकंता जी !

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

सैंया सुणो तो सरी !

सैंया सुणो तो सरी !
रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
गाय दूजता गोडा फूटा
भैंस दूवता ढकणी फूटी
घर में जाता सासू रो दुख लागो
घर में जाता बारै वांता!
वातां पाणी जातां
धरमराज री पोळ आगे
जमड़ा मारसी लातां
राती जोगा में राजी बाजी!
हीड मींड गावे गीत
लापसड़ी लुंदा मारे
राम आवे न सीत
चोखा घर रा मोठ बाजरी !
आगा उंडा मेले
कांकरा रा दाणा लेने
साद बामण ठेले
सैंया सुणो तो सरी

रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी !?
ओ भजन म्हारा नानोसा ठाकर गंगासिंहजी अखेराजोत जबानी ही नित गाया करता हा। वै तो सुरगलोक बिराजै पण जबानी इ जिणाने हाल याद है उणासूं लिखियो हूं । उणारै जबान पर इ  अखाणां कावतां वातां आडियां रो भंडार विराजतो हो । जद इ मोको मिलियो म्हे उण अणमोल बोलां नै  समेटवा री कोसिस करी हूं । पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली जिकी उणारे सागै ही अतीत बणगी है।

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

बना


थांरे मोरे ओ बना कदरी प्रीत?
थे दिल्ली ने मै आगरा जियो राज
थांरे मोरे ओ बनी जदरी प्रीत !
थांरा बाबोसा कागद मेलियो जियो राज
थांरे देख्या ओ बना छाती धड़का खाय!
कांई कैवोला रंग मै ल में जियो राज?
थांरे मोरे ओ बना कदरी प्रीत ?
थे दिल्ली ने मै आगरा जियो राज
थांरे मोरे ओ बनी जदरी प्रीत !
थांरे काकोसा कागद मेलियो जियो राज
थांरे देख्या ओ बना छाती धड़का खाय
कांई कैवोला बादळ मै ल में जियो राज
ले चांला ऐ बनी अधर उंचाय मैड़ी नै पैले डागळे जियो राज
लेसांऐ बनी हिवड़े लगाय मोती सूं मुठड़ी भरायल्या जियो राज
....किरण राजपुरोहित नितिला

वा उतरी........

वा उतरी........
 सजग हुयो
म्हारो मन
औचक सूं

निजर गी घूम
देख्यो द्वार
 कोइ नी हो
पण लाग्यो  कोई हो
मैं उणरी निजरां मे ही
पण म्हारी टकटकी अळगां ताई जा र
रीती इ पाछी आई!

मन उण घड़ी सूं
गुन्जण लाग्यो
रीती जग्यां
खनखन खनकी
ज्याणे कोई पांवणो
थोड़ी ताळ सारु आयो
अर  ठुनक र मानस में बैठ ग्यो
टमटोळती आखर जैड़ी आख्ंया
लकदक मनचीता  भावां सूं

 वा उतरी म्हारे कागदे
थरप ग्यो एक चितराम
अर मन गावा लाग्यो
 कविता !!!

किरण राजपुरोहित नितिला

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

वीरो

वीरो   गीत
 बैन पूछे-
वीरा ओ कटोड़ा री बाळद सइया उमरीजै
वीरा ओ कटोड़ा में घूरिया रे किसाण?
जामण रो जायो आवियो जी !!

वीरा पडूत्तर देवे-
बाई ऐ बासनीगढ़ सूं बाळद सईंया उमरीजी
बाई ऐ खाराबेरा गढ में घूरिया रे किसाण
जामण रो जायो आवियो जी

वीरा ओ आडा तो फिरे न किरण बाई पूछियो जी
वीरा ओ बाळदड़ी में कांई कांई लाविया जी ?

वीरो-
बाई ऐ आदा में चुड़ा ऐ बाई चूनड़ीजी
आदा में चूड़ा री मजीठ जामण रो जायो आवियो जी

 
वीरो -
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ नैण झकोळ
जामण रा जाया आविया जी
बैन-
नैणा म्हारे काजळया री रेख
नैण झकोळया ना सरे!

वीरो-
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ बांस मरोड़
माता रो जायो आवियो जी
बैन-
वीरा ओ !बास्यां म्हारे चुड़लो हस्ती दांत रो
बांस मरोड़या ना सरे!

वीरो-
बाई मिल म्हारी बेनड़ हिवड़ो हिलोळ
 जामण रो जायो आवियो जी!
बैन-
बीरा ओ! हिवड़ै म्हारे नवसर हार
हिवड़ेा हिलाळयां ना सरे!

वीरो-
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ कड़ियां निवाय
मातासा रो जायो आवियो
बैन-
वीरा ओ कड़ियां म्हारे लाडलपूत
कड़ियां झुकायां ना सरे!

बीरो-
मती करो बाईसा पूतां रो गुमाण
पूत पराया व्हे जासी जी!
मती करो बाईसा धीवां रो गुमाण
धीव साजनिया ले जासी जी !

बाळद -  बैलो की पूरी सवारी जो पहले यात्रा का साधन थी ।

बुधवार, 8 सितंबर 2010

वीरो....

वीरो....

वीरोसा उंची चढी नै नीची उतरुं जी
वीरोसा जोउं म्हारा जामण जाया री बाट जी
ओ जामण रा जाया
वारि ओ फुलड़ा रा भारा
इणने ओसरिये वेगा आवजो

  1  वीरोसा चुदड़ी ओढुंला घर री दामां री
    वीरोसा कड़ुम्बा में राखूं थारी सोभा ओ
जामण रा जाया
वारि ओ म्हारा उगन्ता सूरज
इणने ओसरिये वेगा आवजो।।
2    वीरोसा चुड़लो पैरुंला घर रै दामां रो
     वीरोसा देराणियां जेठाणियां में सोभा जी थांरी
     जामण रा जाया
     वारि ओ फुलड़ा रा भारा
     इणने ओसरिये वेगा आवजो।।
3    वीरोसा मायरो पैरुंला घर रै दामां रो
     वीरोसा भरिये हाथां में सोभा थांरी ओ
     जामण रा जाया
     वारि ओ उगन्ता सूरज
     इणने ओसरिये वेगा आवजो।।

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

राजस्थान में हर मौके रै न्यारा गीतां री तरै ही मायरा री वेला अर दूजा केइ मौकां पर भाई ने अडीकती बैन वीरो नावं रा गीत गाया करै । हर मौका पर भाई या वीरा नै याद करै अर कोई अचरज कोनी क उण बगत बैठी हर बैन रा नैन भीग जावै !!!

वीरो...
कठा सूं आई सूंठ कठा सूं आयो जीरो
कठा सूं आयो ऐ म्हारो जामण जायो वीरो
बंबई सूं आई सूंठ जैपुर सूं आयो जीरो
जोधाणे सूं आयो म्हारो जामण जायो बीरो!

कायण में आई सूंठ कायण में आयो जीरो
कायण में आयो म्हारो जामण जायो वीरो
मोटर में आई सूंठ गाड़ी में आयो जीरो
हवाई जहाज सूं आयो म्हारो जामण जायो वीरो!

कठै सूं उतरै सूंठ कठासूं उतरे जीरो
कठोड़े उतरे म्हारो माता जाया वीरो
पोळां में उतरे सूंठ आंगण में उतरे जीरो
मैलां में उतरे म्हारो माता जाया वीरो!



कठै सोवे सूंठ कठै सोवे जीरो
कठोड़े सोवे म्हारो माता जाया वीरो
लाडू में सोवे सूंठ सब्जी में सोवे जीरो
मायरा में सोवे म्हारो जामण जायो वीरो!
मायरो भरैला म्हारो जामण जायो वीरो!!

मंगलवार, 31 अगस्त 2010


ok mrjh--------
 ltx gq;ks
Egkjks eu
vkSpd lwa

futj xh ?kwe
ns[;ks n~okj
 dksb uh gks
i.k ykX;ks  dksbZ gks
eSa m.kjh futjka es gh
i.k Egkjh VdVdh vGxka rkbZ tk j
jhrh b ikNh vkbZ!

eu m.k ?kM+h lwa
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T;k.ks dksbZ ikao.kks
FkksM+h rkG lk# vk;ks
vj  Bqud j ekul esa cSB X;ks
VeVksGrh vk[kj tSM+h vk[a;k
ydnd euphrk  Hkkoka lwa

 ok mrjh Egkjs dkxns
Fkji X;ks ,d fprjke
vj eu xkok ykX;ks
 dfork !!!

fdj.k jktiqjksfgr fufryk

सोमवार, 2 अगस्त 2010

बनो

बनो
बींदराजा जद सांबेळा अर तोरण पर पधारे जद बनड़ी रे घर री अर गांव गुवाड़ी री  सगळी जणियां उंची मेड़ी मातै चढ र घणे चाव सूं ओ  बनो गाया करे बींद ने अणुंतो फुटरो अर बनड़ी रे जोड़ी रो बतावतां जस देवतां।

बना सीवां थे आइजो मलकन्ता                                                                                                                     
सीवांयो सरायो बींद सोजतिया
                      बींद मेड़तिया
बनी रा जोड़ी रो राजवी!!
बना हालता री मचकै मोजड़ी
बना हंसता रा दिखै दांत दाड़मिया
                             होठ रेशमिया
बनी रे जोड़ी रो राजवी!!

बना सरवर थे आइजो मलकन्ता
पिणहारियां  सरयो बींद मेड़तिया
                              बींद सोजतिया
बनी रे जोड़ी रो राजवी!!

बना चौवटे थे आइजो मलकन्ता
बना चौरासी सरायो बींद मेड़तिया
                      बींद सोजतिया
 बनी रे जोड़ी रो राजवी!!

बना तोरण थे आइजो मलकन्ता
बना सहेलियां सरायो बींद सोजतिया
                  बींद मेड़तिया
बनी रे जोड़ी रो राजवी!!

 बना माया थे आइजो मलकन्ता
बना जोशीजी सरायो बींद सोजतिया
                   बींद मेड़तिया

बना  चंवरियां थे आइजो मलकन्ता
बना कडु़म्बे सरायो बींद सोजतिया
                   बींद मेड़तिया
बनी रे जोड़ी रो राजवी!!
बना हालता री मचकै मोजड़ी
बना हंसता रा दिखै दांत दाड़मिया
                   होठ रेशमिया
बनी रे जोड़ी रो राजवी !!!


बनो         बींद अर ब्याव में गाइजण वाळा एक तरै रा गीत।
                राजस्थानी शादियों में गाया जाने वाला गीत का एक प्रकार।
सीवां        सांबेळा जठै मंाडियां  जांनियां रो सुआगत करै।
                 बराती घरातियों के मिलनी की जगह।
मुलकंता     मुस्करावतां
राजवी       राजकंवर
मोजड़ी      बींदोली जूतियां
माया        रंग सूं मांडियोड़ा देवी देवता जठै बींद बींदणी रा छेड़ा छेड़ी जोड़िजै।
सरवर         सरोवर                                                                                      

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

........राजस्थानी !!

........राजस्थानी !!
एक एक नै क्यूं बतानी पड़े
क थांरी भासा राजस्थानी !
थे उठो थे जागो अब
थांरो फरज राजस्थानी !
निज घर में निज रै थाने
 क्यूं अणजाणी है राजस्थान?
 मना मना र बात मनवावां
ऐड ी थारै संताना राजस्थानी !
डूंगर  री कांई बात करां
पगां नीचली बळै राजस्थानी !
 पण सदा न यूं रेसी जी
अब समै बदलै है राजस्थानी !
रीढहीनां है वे लिजलिजा प्राणी
जिका थनै कुरावे राजस्थानी !
चोटी सूं अेक वार आइजै नीचै
 ईसो इज समै है राजस्थानी !
वो इज पोछो उठै थरपीजै 
चोखो समै है  आवै राजस्थानी! 
.......किरण राजपुरोहित नितिला

शनिवार, 17 जुलाई 2010

इक कसक....

इक कसक....
दोस्त दोस्त नी रेवे तो कांइ
उणने दुस्मन मान लां?
ठाडी ठाडी दोस्ती निबाहता
बरस गुजार लां?
उजर है थांरी केइ बातां सूं
तो ओळमो दे दूं?
नानकी सी इक वात सारु
दोस्त गुमा द्‌यूं!!!
सागे सागे हा पण मन सूं मन
रा आंतरा घणा
थे मानो, म्हे नी मानूं क
दोस्त दुनिया में मोकळा
सोध र देख ल्यो
यद म्हार सो इक इ लाधे
सागे हा हर काज में
एक अेहम सूं अळगा होया
 म्हे तो भूलगी पण
थे अकड़ र हो बैठ्‌या
ओ इज करनो हो तो सुणो
इक वात म्हारी सुणजो
मनै तो ठीक है पण
दूजां पर रैहम करजो
...............किरण राजपुरोहित नितिला

रविवार, 4 जुलाई 2010

बना ओ बेगी बेगी जोई रज री बाट

राजस्थान में ब्याव बिना गीतां रे पूरा नी व्है ।ओ कैवां तो घणो सही है क   कोई भी उछब तीज.तिवांर  ,झडूलो, सगाई, सीख. बधावणो ,देवी देवता, हर मौके रे जोग रसीळी रागां  में गीत मौजूद है । इण में हरजस, भजन , रातीजोगा रा गीत, बना..बनी रा गीत, दिनूंगै रा गीत अर केई तरै रा गीत सामिल है। ब्याव रै मौके हर रीत रै गीतां रे सागै बना इ गाइजै जिका ब्याव में खासो उछाव भर दै । इण बना रै  भंडार में सूं  एक ओ बनो है ....
बना ओ बेगी बेगी जोई रज री बाट

बना ओ बेगी बेगी जोई रज री बाट
मोड़ा ओ  किस विध   आविया जी म्हारा राज
बनी गयो थो जोशीजी रे पास
लगन लिखाविया  जी   म्हारा राज
बना ओ लगन लिखावै थारां बाबोसा
भंवर चिंता क्यूं करो जी म्हारा राज
बना ओ मेष अंधारी रात
गळयां मे डरपो एकला जी म्हारा राज
ना ए बनी  नाइजी रो बेटो रज रे साथ
चरागां रो चांनणो जी म्हारा राज ॥

बना ओ बेगी बेगी जोइ रज री बाट
मोड़ा  किस विध आविया जी म्हारा राज
बनी गयो थो सिरोया रे हाट
चुड लो चिरावियो जी म्हारा राज
बना ओ चुड लो चिरावै थारां काकोसा
भंवर चिंता क्यूं करोजी म्हारा राज
बना..........राज॥

बना ओ बेगी बेगी जोइ रज री बाट
 मोड़ा  किस विध आविया जी म्हारा राज
बनी गयो थो पाटुड़ा  रे हाट
पडलो मोलाविया जी म्हारा राज
बना ओ  पडलो मोलावै थारां मामोसा
भंवर चिंता क्यूं करो जी  म्हारा राज
बना......राज॥

बना ओ बेगी बेगी जोइ रज री बाट
मोड़ा  ओ किस विध आविया जी म्हारा राज
बनी गयो मोचिया रे हाट
मोजरियां मोलाविया जी म्हारा राज
बना ओ मोजरियां मोलावे थारां वीरोसा
भंवर चिंता क्यूं करोजी म्हारा राज
बना........राज ॥

बना ओ बेगी बेगी जोइ रज री बाट
 मोड़ा ओ किस विध आविया जी म्हारा राज
  बनी गयो थो बजाजी रे हाट
वरियां मोलाविया जी म्हारा राज
बना ओ वरियां मोलावे थारां जीजोसा
भंवर चिंता क्यूं करो जी म्हारा राज
बना ओ मेष अंधारी रात
सैंरा में डरपो एकला जी म्हारा राज
ना ए बनी नाईजी रो बेटो म्हारे साथ
चरागां रो चांनणो जी म्हारा राज ॥

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

राणी भटियाणी जी रो गीत

कुलदेवी रे रातीजोगा में गाइजण वाळो माजीसा राणी भटियाणी जी रो गीत जिको मनै घणो सोवणो लागै।  घणो मीठो गीत है ओ।

थनै रे सिलावट रा बेटा माजीसा बुलावै
मकराणे री मूरत घड़नै हाजिर होइजे रै
जाणो जसोल में
जाणो जसोल में मां राणी भटियाणी रो परचो भारी रै
जाणो जसोल में ॥
थनै रे माळीजी रा बेटा माजीसा बुलावै
फुलड ा री छाबां लेने हाजिर होइजै रे
जाणो.............जसोल में ॥
थनै रे ढोलीजी रा बेटा  माजीसा बुलावै
ढोल नै नगाड ा लेने हाजिर होइजै रे
जाणो...........जसोल में ॥
थनै रे गांधीड ै रा बेटा माजीसा बुलावै
अंतरिया री सीसी लेने हाजिर होइजै रे
जाणो .........जसोल में॥
थनै रे कुम्हारी रा बेटा माजीसा बुलावै
कुंभ नै कळच्च  लेने हाजिर होइजै रे
जाणो .........जसोल में ॥
थनै रे नाईजी रा बेटा माजीसा बुलावै
धूंप नै धूंपेड ो लेने हाजिर होइजै रे
जाणो.........जसोल में॥
थनै रे कन्दोया रा बेटा माजीसा बुलावै
घेवरियां री छाबां लेने हाजिर होइजै रे
जाणो.........जसोल में ॥
थनै रे दरजी रा बेटा माजीसा बुलावै
पोसाकां री जोड  लेने हाजिर होइजै रे
जाणो ..........जसोल में ॥
थनै रे मोचीड ै रा बेटा माजीसा बुलावै
मोजरियां री जोड  लेने हाजिर होइजै रे
जाणो जसोल में
जाणो जसोल में मां मोतियां वाळी रो परचो भारी रे
जाणो जसोल में ॥

सोमवार, 7 जून 2010

म्हारो अलहदो घर !

मोवणी  धरती,
नीलो आभो
जठै गळै मिलै
हरियाळी चादरै
ज्यूं जड़ियो
इक मोती
वो म्हारो घर !
चिड़कलियां चैचावे
कोयल कुहूकै
मोर हरखावै
काचो कंवळो बायरो
किवाड़ खड़कावै
 म्हारो अलहदो घर !
आळै में जगतो
एक दीवो
मुळकती बाती
अर म्हारो
जनम जनम रो साथी
निस्संग हूं
उणरै साये ............
किरण राजपुरोहित नितिला

मंगलवार, 25 मई 2010

म्हारो ......

म्हारो ......
होयां रो एहसास जद नीं हो
तद वो घणो सुखदेवो हो
मैसूसण री छिमता नी ही
उणरी कोई किमतां नी ही
इक तितली रै उन्नाव
हिलोरती ठाडी ठाडी छांव
उछलता  कूदता ई भाज गी
आज उणरी बस याद री
मैसूस करवा री घड़ी
सोचां हुई केई बड्डी
ज्यूं  लू में ठाडो बायरो
हिरदै ओ‘अ बूंदा आवणो
वो इब इ तो आयो
अर इब इ कियां गियो
नैमत मान क्यूं नीं राखयो
चेतता थकां रै भाज ग्यो
छोड़ ग्यो यादां रो सुपनो
वो म्हारो चावो बाळपणो  ....
किरण राजपुरोहित नितिला

सोमवार, 24 मई 2010

वा.....

वा.....
अरथां  सूं रमती
चीन्हा में गूंजती
आख्यां में नाचती
पलकां नै मुदावती
वा.....
मनड़ो टमटोळती
हिवड़ै सू नीसरती
रुनझुन आखर बजावती
कागद नै सिणगारती
वा...........
मनड़ै री माया नै
ओ ‘अ सूं रंगती
किरणां  री तांत सूं
सुहागो लगावती
वा.........
भांत भांत रा भाव अर
अरथां रा प्याला ले
वा......तलासण लागी
उणनै
जिणनै
अमरित पावती
सरुआत कर दै
इक लांबी अकथ कथा
अर स्रिस्टी हुती रैवे
अनथक सारथक !!
वा.....म्हारी कविता !
...............किरण राजपुरोहित नितिला

रविवार, 23 मई 2010

अेक पीड़


अेक पीड़
 दिनां रै फेर में
दिलां रा फरक यूं
दिखै
पैला
उणरे रात रात जागवा में
अेक विस्वास हौ
आस ही
चोखो सोरो भविस हो ,
आज उणरी इण हालत में
घणो दुख अर पीड़ है
क्यूं क उणरी
आस विस्वास
उणरो बेटो
सैर री चमक दमक देख‘ र
व्हे ग्यो उणसूं  अळगो
जीवण तो यूं इ बीत जावैला
पण
कोई बतावै ???
उणरी आस क्यूं टूटी .....

दुआ करुं
मिंदर मैल टूटै भले
परभु!!!!!!!
विस्वास कोय रो नीं टूटै ....


आ कविता म्है  बारवी में भणती जद लिखी ही ।
इनै सगळा रै सामी लावण री हिमत आ इज जुटा सकी हूं ...नीं जाणु  क्यूं !!!!
जिणानै देख ‘ र लिखी वै आज दुनिया में नी है पण उणारो दरद आज ई ज्यूं रै त्यूं म्हारे सागै है  इण आखरा  ,इण  कागद रै नाई।