मंगलवार, 30 नवंबर 2010

पीठी रा गीत

पीठी के गीत बन्ना या बन्नी को पीठी चढाते समय गाये जाते है।  इस गीत में पति अपनी पत्नि से पूछते है कि
आपकी चूनड़ी तेल से कहां भरी ?
आपके हाथ पीले कैसे हुये? तब पत्नि कहती है कि सुंदर से  बन्ना के पीठी उतारते समय हाथ पीले और चूनड़ी तेल से चीगटी हुई है।
पीठी में हल्दी बेसन और जौ के आटे के साथ तेल मिला उबटन होता है।


पीठी  रा   गीत
नरेन्दरसिंघसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !

अरविंद सिंहसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !

बुधवार, 3 नवंबर 2010

हिवड़े रा भाव




हिवड़े रा भाव
सब्दां रै ढीले बंध में
कियां बाधूं  !
हिवड़े रा भाव मरम ढाळूं तो
 लिपि विखरे
मातरावां सूं नी ताबै
आखरां सूं आपळता
स्वरां नै नीं सांबळै
इण हिये रा भाव !
सूत्र बणा र सांवट ल्यूं
फर्मा में ही टीप द्यूं
रीत रिवाज सूं अळगा
गणित विज्ञान नी है
हिवड़े रा भाव
जो सोचूं
 वै कियां लिखूं
सोचां नै समझ समझावै
 थाम थाम र राखूं पण
म्हासूं धके भाज जावै
गोखां सूं झांक इ ल्यै
हिवड़े रा भाव
..किरण राजपुरोहित नितिला