मंगलवार, 25 मई 2010

म्हारो ......

म्हारो ......
होयां रो एहसास जद नीं हो
तद वो घणो सुखदेवो हो
मैसूसण री छिमता नी ही
उणरी कोई किमतां नी ही
इक तितली रै उन्नाव
हिलोरती ठाडी ठाडी छांव
उछलता  कूदता ई भाज गी
आज उणरी बस याद री
मैसूस करवा री घड़ी
सोचां हुई केई बड्डी
ज्यूं  लू में ठाडो बायरो
हिरदै ओ‘अ बूंदा आवणो
वो इब इ तो आयो
अर इब इ कियां गियो
नैमत मान क्यूं नीं राखयो
चेतता थकां रै भाज ग्यो
छोड़ ग्यो यादां रो सुपनो
वो म्हारो चावो बाळपणो  ....
किरण राजपुरोहित नितिला

सोमवार, 24 मई 2010

वा.....

वा.....
अरथां  सूं रमती
चीन्हा में गूंजती
आख्यां में नाचती
पलकां नै मुदावती
वा.....
मनड़ो टमटोळती
हिवड़ै सू नीसरती
रुनझुन आखर बजावती
कागद नै सिणगारती
वा...........
मनड़ै री माया नै
ओ ‘अ सूं रंगती
किरणां  री तांत सूं
सुहागो लगावती
वा.........
भांत भांत रा भाव अर
अरथां रा प्याला ले
वा......तलासण लागी
उणनै
जिणनै
अमरित पावती
सरुआत कर दै
इक लांबी अकथ कथा
अर स्रिस्टी हुती रैवे
अनथक सारथक !!
वा.....म्हारी कविता !
...............किरण राजपुरोहित नितिला

रविवार, 23 मई 2010

अेक पीड़


अेक पीड़
 दिनां रै फेर में
दिलां रा फरक यूं
दिखै
पैला
उणरे रात रात जागवा में
अेक विस्वास हौ
आस ही
चोखो सोरो भविस हो ,
आज उणरी इण हालत में
घणो दुख अर पीड़ है
क्यूं क उणरी
आस विस्वास
उणरो बेटो
सैर री चमक दमक देख‘ र
व्हे ग्यो उणसूं  अळगो
जीवण तो यूं इ बीत जावैला
पण
कोई बतावै ???
उणरी आस क्यूं टूटी .....

दुआ करुं
मिंदर मैल टूटै भले
परभु!!!!!!!
विस्वास कोय रो नीं टूटै ....


आ कविता म्है  बारवी में भणती जद लिखी ही ।
इनै सगळा रै सामी लावण री हिमत आ इज जुटा सकी हूं ...नीं जाणु  क्यूं !!!!
जिणानै देख ‘ र लिखी वै आज दुनिया में नी है पण उणारो दरद आज ई ज्यूं रै त्यूं म्हारे सागै है  इण आखरा  ,इण  कागद रै नाई।