रविवार, 26 सितंबर 2010

वीरो गीत

वीरो गीत
 बजारों में बाजै जंगी ढोल
दरवाजे नौपत घुर रया जी
आया म्हारा जामण जाया वीर!
चुनड़ लाया रेशम जी
आया म्हारा माता जाया वीर
चूनड़ लाया पचरंगी जी !

पल्लां उपर हीरां रो जड़ाव
घूंघटा पर घूघरा जी
नापूं तो हाथ पांच!
तोलूं तो पूरा तोळा तीसरी
मेलूं तो तरसे म्हारो जीव
ओढूं  तो हीरा झड़ पड़े जी !

ओढूं म्हारा लाडलड़ा रै ब्याव
च्यारुं पल्ला रळकंता जी
देखे म्हारा देवर जेठ!
सायब आवे मुळकंता जी
देखे म्हारा सोई परवार
सायब देखे मुळकंता जी !

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

सैंया सुणो तो सरी !

सैंया सुणो तो सरी !
रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
गाय दूजता गोडा फूटा
भैंस दूवता ढकणी फूटी
घर में जाता सासू रो दुख लागो
घर में जाता बारै वांता!
वातां पाणी जातां
धरमराज री पोळ आगे
जमड़ा मारसी लातां
राती जोगा में राजी बाजी!
हीड मींड गावे गीत
लापसड़ी लुंदा मारे
राम आवे न सीत
चोखा घर रा मोठ बाजरी !
आगा उंडा मेले
कांकरा रा दाणा लेने
साद बामण ठेले
सैंया सुणो तो सरी

रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी !?
ओ भजन म्हारा नानोसा ठाकर गंगासिंहजी अखेराजोत जबानी ही नित गाया करता हा। वै तो सुरगलोक बिराजै पण जबानी इ जिणाने हाल याद है उणासूं लिखियो हूं । उणारै जबान पर इ  अखाणां कावतां वातां आडियां रो भंडार विराजतो हो । जद इ मोको मिलियो म्हे उण अणमोल बोलां नै  समेटवा री कोसिस करी हूं । पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली जिकी उणारे सागै ही अतीत बणगी है।

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

बना


थांरे मोरे ओ बना कदरी प्रीत?
थे दिल्ली ने मै आगरा जियो राज
थांरे मोरे ओ बनी जदरी प्रीत !
थांरा बाबोसा कागद मेलियो जियो राज
थांरे देख्या ओ बना छाती धड़का खाय!
कांई कैवोला रंग मै ल में जियो राज?
थांरे मोरे ओ बना कदरी प्रीत ?
थे दिल्ली ने मै आगरा जियो राज
थांरे मोरे ओ बनी जदरी प्रीत !
थांरे काकोसा कागद मेलियो जियो राज
थांरे देख्या ओ बना छाती धड़का खाय
कांई कैवोला बादळ मै ल में जियो राज
ले चांला ऐ बनी अधर उंचाय मैड़ी नै पैले डागळे जियो राज
लेसांऐ बनी हिवड़े लगाय मोती सूं मुठड़ी भरायल्या जियो राज
....किरण राजपुरोहित नितिला

वा उतरी........

वा उतरी........
 सजग हुयो
म्हारो मन
औचक सूं

निजर गी घूम
देख्यो द्वार
 कोइ नी हो
पण लाग्यो  कोई हो
मैं उणरी निजरां मे ही
पण म्हारी टकटकी अळगां ताई जा र
रीती इ पाछी आई!

मन उण घड़ी सूं
गुन्जण लाग्यो
रीती जग्यां
खनखन खनकी
ज्याणे कोई पांवणो
थोड़ी ताळ सारु आयो
अर  ठुनक र मानस में बैठ ग्यो
टमटोळती आखर जैड़ी आख्ंया
लकदक मनचीता  भावां सूं

 वा उतरी म्हारे कागदे
थरप ग्यो एक चितराम
अर मन गावा लाग्यो
 कविता !!!

किरण राजपुरोहित नितिला

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

वीरो

वीरो   गीत
 बैन पूछे-
वीरा ओ कटोड़ा री बाळद सइया उमरीजै
वीरा ओ कटोड़ा में घूरिया रे किसाण?
जामण रो जायो आवियो जी !!

वीरा पडूत्तर देवे-
बाई ऐ बासनीगढ़ सूं बाळद सईंया उमरीजी
बाई ऐ खाराबेरा गढ में घूरिया रे किसाण
जामण रो जायो आवियो जी

वीरा ओ आडा तो फिरे न किरण बाई पूछियो जी
वीरा ओ बाळदड़ी में कांई कांई लाविया जी ?

वीरो-
बाई ऐ आदा में चुड़ा ऐ बाई चूनड़ीजी
आदा में चूड़ा री मजीठ जामण रो जायो आवियो जी

 
वीरो -
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ नैण झकोळ
जामण रा जाया आविया जी
बैन-
नैणा म्हारे काजळया री रेख
नैण झकोळया ना सरे!

वीरो-
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ बांस मरोड़
माता रो जायो आवियो जी
बैन-
वीरा ओ !बास्यां म्हारे चुड़लो हस्ती दांत रो
बांस मरोड़या ना सरे!

वीरो-
बाई मिल म्हारी बेनड़ हिवड़ो हिलोळ
 जामण रो जायो आवियो जी!
बैन-
बीरा ओ! हिवड़ै म्हारे नवसर हार
हिवड़ेा हिलाळयां ना सरे!

वीरो-
बाई ऐ! मिल म्हारी बेनड़ कड़ियां निवाय
मातासा रो जायो आवियो
बैन-
वीरा ओ कड़ियां म्हारे लाडलपूत
कड़ियां झुकायां ना सरे!

बीरो-
मती करो बाईसा पूतां रो गुमाण
पूत पराया व्हे जासी जी!
मती करो बाईसा धीवां रो गुमाण
धीव साजनिया ले जासी जी !

बाळद -  बैलो की पूरी सवारी जो पहले यात्रा का साधन थी ।

बुधवार, 8 सितंबर 2010

वीरो....

वीरो....

वीरोसा उंची चढी नै नीची उतरुं जी
वीरोसा जोउं म्हारा जामण जाया री बाट जी
ओ जामण रा जाया
वारि ओ फुलड़ा रा भारा
इणने ओसरिये वेगा आवजो

  1  वीरोसा चुदड़ी ओढुंला घर री दामां री
    वीरोसा कड़ुम्बा में राखूं थारी सोभा ओ
जामण रा जाया
वारि ओ म्हारा उगन्ता सूरज
इणने ओसरिये वेगा आवजो।।
2    वीरोसा चुड़लो पैरुंला घर रै दामां रो
     वीरोसा देराणियां जेठाणियां में सोभा जी थांरी
     जामण रा जाया
     वारि ओ फुलड़ा रा भारा
     इणने ओसरिये वेगा आवजो।।
3    वीरोसा मायरो पैरुंला घर रै दामां रो
     वीरोसा भरिये हाथां में सोभा थांरी ओ
     जामण रा जाया
     वारि ओ उगन्ता सूरज
     इणने ओसरिये वेगा आवजो।।

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

राजस्थान में हर मौके रै न्यारा गीतां री तरै ही मायरा री वेला अर दूजा केइ मौकां पर भाई ने अडीकती बैन वीरो नावं रा गीत गाया करै । हर मौका पर भाई या वीरा नै याद करै अर कोई अचरज कोनी क उण बगत बैठी हर बैन रा नैन भीग जावै !!!

वीरो...
कठा सूं आई सूंठ कठा सूं आयो जीरो
कठा सूं आयो ऐ म्हारो जामण जायो वीरो
बंबई सूं आई सूंठ जैपुर सूं आयो जीरो
जोधाणे सूं आयो म्हारो जामण जायो बीरो!

कायण में आई सूंठ कायण में आयो जीरो
कायण में आयो म्हारो जामण जायो वीरो
मोटर में आई सूंठ गाड़ी में आयो जीरो
हवाई जहाज सूं आयो म्हारो जामण जायो वीरो!

कठै सूं उतरै सूंठ कठासूं उतरे जीरो
कठोड़े उतरे म्हारो माता जाया वीरो
पोळां में उतरे सूंठ आंगण में उतरे जीरो
मैलां में उतरे म्हारो माता जाया वीरो!



कठै सोवे सूंठ कठै सोवे जीरो
कठोड़े सोवे म्हारो माता जाया वीरो
लाडू में सोवे सूंठ सब्जी में सोवे जीरो
मायरा में सोवे म्हारो जामण जायो वीरो!
मायरो भरैला म्हारो जामण जायो वीरो!!