शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

थांरो आवणो स्यात्--

थांरो आवणो स्यात्--

अेक सुवास सी
चेतावती लागै
सुधबुध नै
फड़फड़ा र मुळकया
सनेसा सगळा
हिलोरा लेवै
निंदेळा आळा
 आ आ र उतरवा लागा
केई छिण
मन रे आंगणै
बातां होवै यादां में
देखी अदेखी
सुणी अणसुणी सी
निजरां खिड़कावै
अतीत रा दुवार,
आ रया हो स्यात्
थै म्हारै कनै!!!-किरण राजपुरोहित nitila