पीठी के गीत बन्ना या बन्नी को पीठी चढाते समय गाये जाते है। इस गीत में पति अपनी पत्नि से पूछते है कि
आपकी चूनड़ी तेल से कहां भरी ?
आपके हाथ पीले कैसे हुये? तब पत्नि कहती है कि सुंदर से बन्ना के पीठी उतारते समय हाथ पीले और चूनड़ी तेल से चीगटी हुई है।
पीठी में हल्दी बेसन और जौ के आटे के साथ तेल मिला उबटन होता है।
पीठी रा गीत
नरेन्दरसिंघसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !
अरविंद सिंहसा पूछै बालमिया!
थांरे चूनड़ चींगट कठै रे होई?
थांरा हाथ जी पीळा कठै रे होया?
रायजादा नै तेल चढावंतड़ा
रुपरोड़ा ने तेल चढावंतड़ा
म्हारी चूनड़ पीळी वठै रे होई
म्हारा हाथ जी पीळा वठै रे होया !
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
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गीत सागेड़ो है सा .........
जवाब देंहटाएंबाँच'र घणो आनन्द आयो
बधाई आपनै
हे भगवान! पहले कहाँ थी आप? बेटे और बेटी का ब्याह हाल ही सत्रह और अठारह नवम्बर के दिन हुआ है.मौके पर एक गीत याद नही आया.
जवाब देंहटाएंफिर भी.....आते हो तो हर मौके ,रीत के गीत दीजिए न प्लीज़.बुक मार्क कर लिया है आपका ब्लॉग.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंNice.....
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