सोमवार, 24 मई 2010

वा.....

वा.....
अरथां  सूं रमती
चीन्हा में गूंजती
आख्यां में नाचती
पलकां नै मुदावती
वा.....
मनड़ो टमटोळती
हिवड़ै सू नीसरती
रुनझुन आखर बजावती
कागद नै सिणगारती
वा...........
मनड़ै री माया नै
ओ ‘अ सूं रंगती
किरणां  री तांत सूं
सुहागो लगावती
वा.........
भांत भांत रा भाव अर
अरथां रा प्याला ले
वा......तलासण लागी
उणनै
जिणनै
अमरित पावती
सरुआत कर दै
इक लांबी अकथ कथा
अर स्रिस्टी हुती रैवे
अनथक सारथक !!
वा.....म्हारी कविता !
...............किरण राजपुरोहित नितिला

3 टिप्‍पणियां:

  1. अमरित पावती
    सरुआत कर दै
    इक लांबी अकथ कथा
    अर स्रिस्टी हुती रैवे
    अनथक सारथक !!
    वा.....म्हारी कविता !
    whaa saa ..thane padhtaa thaka mane laago ki rajasthani bhasha ro o kavya en bhasha ne olkhaan deven mein kafi yogdaan ker sake ..arjun ji su judiya pache hi mein rajasthani chaav su padhan lago ki thanvaa kaviya ne padhiyo ..jyada mein janu ni aa jarur mein ke saku ki aapri kavitava ne en ri bhasqha ne shally mane arjun jisu jode ne adhunik kavitavaon su jode mene aas bandhe mene ore padhun ri harakh whe ne laage ki mein eyan hi padhto riyo to whe sake ki mein kadey khoto kharo koi aakhaR LIKH DU LAA RAJASTHANI MARI MAYAD BHASHA RE MAII..........

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  2. वाह सा, छेवट आप मायड भाषा में ब्लॉग लिखनो सरू कर ही दियो. इण सारु आपने घणा घणा रंग ने लखदाद. आपरे इण सिरजन रो सिन्गार घणो फले-फुले. इसी आस राखू.

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