म्हारो ......
होयां रो एहसास जद नीं हो
तद वो घणो सुखदेवो हो
मैसूसण री छिमता नी ही
उणरी कोई किमतां नी ही
इक तितली रै उन्नाव
हिलोरती ठाडी ठाडी छांव
उछलता कूदता ई भाज गी
आज उणरी बस याद री
मैसूस करवा री घड़ी
सोचां हुई केई बड्डी
ज्यूं लू में ठाडो बायरो
हिरदै ओ‘अ बूंदा आवणो
वो इब इ तो आयो
अर इब इ कियां गियो
नैमत मान क्यूं नीं राखयो
चेतता थकां रै भाज ग्यो
छोड़ ग्यो यादां रो सुपनो
वो म्हारो चावो बाळपणो ....
किरण राजपुरोहित नितिला
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khus khas samajh me nahee aayaa
जवाब देंहटाएंकिरणजी,
जवाब देंहटाएंबधाई हो. आप राजस्थानी में पैला महिला ब्लॉगर बण गया.
लिखता रैवो. आपरी कलम में दम है.
डॉ. सत्यनारायण सोनी
मायड़ भाषा में आपरी रचणां पढ़ी मन राजी होयग्यो किरणजी। आपणे घणीं-घणीं बधाई।
जवाब देंहटाएंशिवराज गूजर