सैंया सुणो तो सरी !
रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
गाय दूजता गोडा फूटा
भैंस दूवता ढकणी फूटी
घर में जाता सासू रो दुख लागो
घर में जाता बारै वांता!
वातां पाणी जातां
धरमराज री पोळ आगे
जमड़ा मारसी लातां
राती जोगा में राजी बाजी!
हीड मींड गावे गीत
लापसड़ी लुंदा मारे
राम आवे न सीत
चोखा घर रा मोठ बाजरी !
आगा उंडा मेले
कांकरा रा दाणा लेने
साद बामण ठेले
सैंया सुणो तो सरी
रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी !?
ओ भजन म्हारा नानोसा ठाकर गंगासिंहजी अखेराजोत जबानी ही नित गाया करता हा। वै तो सुरगलोक बिराजै पण जबानी इ जिणाने हाल याद है उणासूं लिखियो हूं । उणारै जबान पर इ अखाणां कावतां वातां आडियां रो भंडार विराजतो हो । जद इ मोको मिलियो म्हे उण अणमोल बोलां नै समेटवा री कोसिस करी हूं । पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली जिकी उणारे सागै ही अतीत बणगी है।
शुक्रवार, 24 सितंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली।
जवाब देंहटाएंसाची बात कही थ्हे,मिनख रे जायां पाछै याद ही रह ज्यावे।
बेहतरीन लेखन के बधाई
तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
सैंया सुणो तो सरी !
जवाब देंहटाएंरामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
गाय दूजता गोडा फूटा
भैंस दूवता ढकणी फूटी
घर में जाता सासू रो दुख लागो
घर में जाता बारै वांाम.ता!
आज तो आनंद आगया, बचपन में पहुंच गये, किरण जी हो सके तो इसका पोडकास्ट लगाईये, बहुत कीमती है.
रामर
ghano dhanwaad sa.
जवाब देंहटाएं