शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

सैंया सुणो तो सरी !

सैंया सुणो तो सरी !
रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
गाय दूजता गोडा फूटा
भैंस दूवता ढकणी फूटी
घर में जाता सासू रो दुख लागो
घर में जाता बारै वांता!
वातां पाणी जातां
धरमराज री पोळ आगे
जमड़ा मारसी लातां
राती जोगा में राजी बाजी!
हीड मींड गावे गीत
लापसड़ी लुंदा मारे
राम आवे न सीत
चोखा घर रा मोठ बाजरी !
आगा उंडा मेले
कांकरा रा दाणा लेने
साद बामण ठेले
सैंया सुणो तो सरी

रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी !?
ओ भजन म्हारा नानोसा ठाकर गंगासिंहजी अखेराजोत जबानी ही नित गाया करता हा। वै तो सुरगलोक बिराजै पण जबानी इ जिणाने हाल याद है उणासूं लिखियो हूं । उणारै जबान पर इ  अखाणां कावतां वातां आडियां रो भंडार विराजतो हो । जद इ मोको मिलियो म्हे उण अणमोल बोलां नै  समेटवा री कोसिस करी हूं । पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली जिकी उणारे सागै ही अतीत बणगी है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. पण ओ पछतावो सदा रैसी क सगळी वांता क्यूं नी समेट ली।

    साची बात कही थ्हे,मिनख रे जायां पाछै याद ही रह ज्यावे।

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  2. सैंया सुणो तो सरी !
    रामजी दयालु जणे क्यूं बिछड़ी
    गाय दूजता गोडा फूटा
    भैंस दूवता ढकणी फूटी
    घर में जाता सासू रो दुख लागो
    घर में जाता बारै वांाम.ता!

    आज तो आनंद आगया, बचपन में पहुंच गये, किरण जी हो सके तो इसका पोडकास्ट लगाईये, बहुत कीमती है.

    रामर

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